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लालमहाल

लाल महाल :-

             १९३०  साली  विजापूरच्या  आदिलशहाच्या  सैनिकांनी पुणे  शहर  उद्वस्त  केले . घरे   जाळली ,कितीतरी  लोक  मारले  गेले .त्यानंतर  काही  वर्षांनी  दादोजी   कोंडदेव  हे   ६  वर्षाच्या  शिवाजी  महाराजांना  आणि  जिजाबाईना घेवून  पुण्यात  आले . त्यांनी  झांबरे  पाटलाकडून  जमीन  घेवून  हा  वाद  बांधला . येथे  शिवाजी  महाराजांनी  आणि  जिजाबाईनि काही  काळ  वस्त्याव्य केले . ते  नेहमी  कसबा  पेठेतील गणपतीच्या  दर्शनास  जात  असत.

            शिवाजी  राजे  त्यानंतर  रेग्दल  राहण्यास  गेले . १६६० -६३  मधे   शाहितेखान   लालमहालात वास्त्यव्यास  होता .त्याला   हाकलून  देण्यसाठी  ६  एप्रिल  १६६३  साली  शिवाजी  महाराजांनी  लाल   महालावर  हल्ला  केला .त्यात  शाहिस्ते खानची  ३  बोटे  कापली  गेली ,तसेच  त्याचा  मुलगा  अबुल  फात्तेखानशहा  ५५  शत्रू  मारले  गेले . त्यानंतर    ८  एप्रिल  १६६३  ला  शाहिस्तेखानाने  लाल महालासह   पुणे  सोडलं . पुण्यावरील  सतत   होणाऱ्या हल्ल्यामुळे  लालमहाल  उद्वस्थ  झाला .

            आता   असलेला  हा  लालमहाल  पुणे  महानगरपालिकेने  बांधलेला  आहे .त्यामुळे  त्याला  शाहिस्तेखानाची  बोटे  कापलेली  खिडकी  नाही . पुणे  महानगरपालिकेने  हे  बांधकाम  १९८४  साली  सुरु  केले  तर  ते  १४  एप्रिल  १९८८  ला  पूर्ण  झाले .
राजकारणी  लोकातील  अंतर्गत  वादामुळे  लालमहाल  आपणास  फक्त  बाहेरुनच पाहता  येईल . हा  शनिवार  वाड्याजवळ  येतो .

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